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कौन कितना बड़ा कंजूस है, इस बात को लेकर संता और बंता में बहस हो रही थी।
संता – मैं इतना कंजूस हूं कि अपने हनीमून के लिए मैं अकेला ही चला गया और आधे पैसे बचाए ।
बंता – अजी ये भी कोई कंजूसी हुई । मेरी सुन। मैंने हनीमून के लिए अपनी बीबी को अपने दोस्त के साथ भेज दिया और पूरे पैसे बचाए …..
एक कंजूस आदमी जब मरने लगा तो उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और बोला – मैंने हमेशा लोगों को यह कहते सुना है कि मरने के बाद आदमी के साथ कुछ भी नहीं जाता। लेकिन मैं इस धारणा को गलत साबित कर दूंगा। मेरे पास कुल तीन लाख रुपये हैं। मैं तुम तीनों को एक-एक लिफाफा दूंगा जिनमें से हरेक में एक लाख रुपये होंगे। मैं चाहता हूं कि मुझे दफनाते समय तुम लोग ये रुपये मेरी कब्र में डाल दो।
जब वह आदमी मर गया तो वादे के मुताबिक तीनों बेटों ने उसकी कब्र में अपने अपने लिफाफे डाल दिए।
घर लौटते समय बड़ा बेटा गमगीन स्वर में बोला – भाई, मुझे बड़ी आत्मग्लानि हो रही है। मुझे बैंक का कर्ज लौटाना था इसलिए मैंने लिफाफे से 25 हजार निकाल लिए थे।
मंझला बेटा भी आंखों में आंसू भरकर बोला – मैंने भी नया घर खरीदा है । उसके लिए 40 हजार की जरूरत थी सो मैंने लिफाफे में केवल 60 हजार ही डाले हैं।
उन दोनों की बातें सुनकर छोटा बेटा तैश में आकर बोला – शर्म आनी चाहिए! आप लोग पिताजी की अंतिम इच्छा का भी पालन नहीं कर सके। मैंने तो एक पैसे की भी बेईमानी नहीं की। पूरे एक लाख का चेक लिफाफे में डालकर आया हूं ……………. !
एक डॉक्टर के घर में पाइप टूट गया। उसने एक प्लम्बर को बुलाया। प्लम्बर आया, आकर अपने बैग से औजार निकाले, थोड़ी देर ठोकपीट करके पाइप जोड़ा और डॉक्टर को 2000 रु. का बिल थमा दिया ।
बिल देखकर डॉक्टर साहब एकदम आपे से बाहर हो गये – यह क्या मजाक है ? एक प्लम्बर होकर तुम्हारी फीस इतनी ज्यादा है जबकि मैं एक डॉक्टर होने के बावजूद इतनी फीस नहीं लेता ….. ?
प्लम्बर ने शांतिपूर्वक जवाब दिया – जब मैं डॉक्टर था तब मैं भी नहीं लेता था …… !
एक कंजूस आदमी जिंदगी भर अपने पुत्रों को कम से कम खर्च करने की हिदायतें देता रहा था। जब वह मरणासन्न स्थिति में पहुंच गया तो पुत्र आपस में मशवरा करने लगे कि किस प्रकार पिता की इच्छा के अनुसार कम से कम खर्च में उनकी अंतिम यात्रा निपटाई जाए।
एक ने कहा – ”ऐम्बुलेंस में ले जाया जाए।”
दूसरे ने कहा – ”नहीं, ऐम्बुलेंस बहुत मंहगी होगी। ठेलागाड़ी में ले चलते हैं।”
तीसरे ने कहा – ”क्यों न साइकिल पर बांधकर ले चलें?”
यह सब सुनकर कंजूस से रहा नहीं गया। उठकर बोला – ”कुछ मत करो, मेरा कुर्ता और जूते ला दो। मैं पैदल ही चला जाऊंगा।”
एक सेठजी बड़े कंजूस थे। एक दिन उनके बेटे ने कहा – ”पिताजी, मुझसे एक गलती हो गई है। एक लड़की मेरी वजह से मां बनने वाली है। उसका मुंह बन्द रखने के लिये या तो मुझे उसे एक लाख रूपये देने पड़ेंगे या फिर उससे शादी करनी पड़ेगी।”
सेठजी ने मजबूरीवश एक लाख रुपये उसके हवाले कर दिए।
कुछ दिन बाद कमोबेश ऐसी ही स्थिति में उन्हें अपने दूसरे बेटे को भी एक लाख रुपये देने पड़े ।
साल भर बाद उनकी जवान बेटी रोती हुई उनके पास आई और बोली – ”पिताजी, मुझसे भूल हो गई है। मैं बिना शादी किये ही मां बनने वाली हूं। यह हरकत मेरे साथ शहर के सबसे बड़े धनवान आदमी के बेटे ने की है।”
पिता ने उसे दिलासा देते हुये कहा – ”चिन्ता न कर बेटी ! आखिर राम राम करते वह दिन आ ही गया जब मैं अपने नालायक बेटों द्वारा किया गया नुकसान ब्याज सहित वसूल कर सकता हूं।”
डाकू ने सेठ को धमकाते हुए कहा – बोल ! चमड़ी देगा या दमड़ी ?
सेठ बोला – भैया, चमड़ी ही ले ले दमड़ी आखिर बुढ़ापे में काम आयेगी … !
कंजूस का एक रुपया छत से नीचे गिर गया, कंजूस नीचे पहुंचा तो रुपया नही मिला।
क्यों?
कंजूस रुपये से पहले नीचे पहुंच गया था।
तीन कंजूस दोस्त एक रोज प्रवचन सुनने के लिए गए। प्रवचनकर्ता संत ने प्रवचनों के बाद किसी सत्कार्य के लिए सभी से चंदा देने के लिए पुरजोर अपील करते हुए कहा कि हरेक कुछ न कुछ जरूर दे।
जैसे-जैसे चंदे वाला थाल उन कंजूसों के नजदीक आता गया वे बेचैन हो उठे। यहां तक कि उनमें से एक बेहोश हो गया और बाकी दो उसे उठाकर बाहर ले गए।
संता और बंता एक मेले में गए । वहां एक हेलिकॉप्टर आया हुआ था जो मेले का चक्कर लगवाने के सौ रुपए लेता था। बंता हेलिकॉप्टर की सवारी करना चाहता था पर संता बहुत कंजूस था। बोला – यार, पांच मिनट की सवारी करके तू कौन सा राजा बन जाएगा। सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं ….
बंता फिर भी जिद कर रहा था और संता बार-बार यही कहे जा रहा था कि – समझा कर, सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं यार ।
उनकी बातचीत पायलट ने सुन ली। वह बोला – सुनो, मैं तुम लोगों से कोई पैसा नहीं लूंगा। लेकिन शर्त यह होगी कि सवारी के दौरान तुम दोनों में से कोई भी एक शब्द भी नहीं बोलेगा। अगर बोला तो सौ रुपए लग जाएंगे।
उन्होंने ने शर्त मान ली। पायलट ने उन्हें पिछली सीट पर बिठाया और उड़ गया। आसमान में पायलट ने खूब कलाबाजियां की ताकि उन दोनों की आवाज निकलवा सके पर पीछे की सीट से कोई नहीं बोला। आखिर जब वे नीचे उतरने लगे तब पायलट ने कहा – अब तुम लोग बोल सकते हो । यह बताओ, मैंने इतनी कलाबाजियां कीं । तुम्हें डर नहीं लगा । न तुम चीखे न चिल्लाए…..।
अब संता बोला – डर तो लगा था। और उस वक्त तो मेरी चीख निकल ही गई होती जब बंता नीचे गिरा, पर तुम समझते हो यार, सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं …..
संता को उसके दोस्त ने अपने घर खाने पर बुलाया। निर्धारित समय पर जब संता दोस्त के घर पहुंचा तो देखा दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और एक कागज चिपका है जिस पर लिखा है – मैंने तुम्हें बेवकूफ बनाया ।
संता ने फौरन होशियारी दिखाते हुए उस लाइन के नीचे लिखा – मैं तो आया ही नहीं था ।
सुमित : मेरे पापा इतने होशियार है कि वो जब भी माचिस लेते है तो माचिस की तीलियां डिब्बी खोल कर गिनते है !
हरेन्द्र : ये तो कुछ भी नहीं. मेरे पापा तो इतने होशियार है कि वो जब भी माचिस लेते है तो सारी तीलियां जलाकर देखते है !!!
एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया.
लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”
बेटा - “ढाई सौ.”
यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.
बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”
संता की दो करोड़ की लॉटरी निकली.
लॉटरीवाला – आपको टैक्स काटकर 1.75 करोड़ मिलेंगे.
संता – ये गलत बात है. मुझे पूरे 2 करोड़ दो, नहीं तो मेरे टिकट के 100 रुपये वापिस करो … !
”आज शाम तक अगर पचास हजार रूपयों का इन्तजाम नहीं हुआ तो बेइज्जती से बचने के लिये मुझे जहर पी लेना पड़ेगा! क्या तू मेरी मदद कर सकता है दोस्त ?”
”क्या करूं ? मेरे पास तो एक बूंद भी नहीं है!”