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एक कंजूस आदमी का बेटा अपनी गर्ल-फ्रेंड के साथ घूमने गया.

लौटकर आया तो कंजूस ने पूछा – “कितने रुपए उड़ा आए ?”

बेटा - “ढाई सौ.”

यह सुनकर कंजूस नाराज़ होकर गालियाँ देने लगा.

बेटा – “और क्या करता बापू….. उसके पास इतने ही थे … ?”




संता की  दो  करोड़ की लॉटरी निकली.

लॉटरीवाला – आपको टैक्स काटकर 1.75 करोड़ मिलेंगे.

संता – ये गलत बात है. मुझे पूरे  2 करोड़ दो, नहीं तो मेरे टिकट के 100 रुपये वापिस करो … !




”आज शाम तक अगर पचास हजार रूपयों का इन्तजाम नहीं हुआ तो बेइज्जती से बचने के लिये मुझे जहर पी लेना पड़ेगा! क्या तू मेरी मदद कर सकता है दोस्त ?”

”क्या करूं ? मेरे पास तो एक बूंद भी नहीं है!”




एक कंजूस जंगल से गुजर रहा था कि अचानक उसके पाँव में काँटा चुभ गया.

वो बोला – “अच्छा हुआ चप्पल पहनकर नहीं आया, वरना उसमें छेद हो जाता.”




डाकू ने सेठ को धमकाते हुए कहा – बोल ! चमड़ी देगा या दमड़ी ?

सेठ बोला – भैया, चमड़ी ही ले ले दमड़ी आखिर बुढ़ापे में काम आयेगी … !




तीन कंजूस दोस्त एक रोज प्रवचन सुनने के लिए गए। प्रवचनकर्ता संत ने प्रवचनों के बाद किसी सत्कार्य के लिए सभी से चंदा देने के लिए पुरजोर अपील करते हुए कहा कि हरेक कुछ न कुछ जरूर दे। 

जैसे-जैसे चंदे वाला थाल उन कंजूसों के नजदीक आता गया वे बेचैन हो उठे। यहां तक कि उनमें से एक बेहोश हो गया और बाकी दो उसे उठाकर बाहर ले गए।




संता को उसके दोस्त ने अपने घर खाने पर बुलाया। निर्धारित समय पर जब संता दोस्त के घर पहुंचा तो देखा दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और एक कागज चिपका है जिस पर लिखा है – मैंने तुम्हें बेवकूफ बनाया ।

संता ने फौरन होशियारी दिखाते हुए उस लाइन के नीचे लिखा – मैं तो आया ही नहीं था ।




संता और बंता एक मेले में गए । वहां एक हेलिकॉप्टर आया हुआ था जो मेले का चक्कर लगवाने के सौ रुपए लेता था। बंता हेलिकॉप्टर की सवारी करना चाहता था पर संता बहुत कंजूस था। बोला – यार, पांच मिनट की सवारी करके तू कौन सा राजा बन जाएगा। सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं ….

बंता फिर भी जिद कर रहा था और संता बार-बार यही कहे जा रहा था कि – समझा कर, सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं यार ।

उनकी बातचीत पायलट ने सुन ली। वह बोला – सुनो, मैं तुम लोगों से कोई पैसा नहीं लूंगा। लेकिन शर्त यह होगी कि सवारी के दौरान तुम दोनों में से कोई भी एक शब्द भी नहीं बोलेगा। अगर बोला तो सौ रुपए लग जाएंगे।

उन्होंने ने शर्त मान ली। पायलट ने उन्हें पिछली सीट पर बिठाया और उड़ गया। आसमान में पायलट ने खूब कलाबाजियां की ताकि उन दोनों की आवाज निकलवा सके पर पीछे की सीट से कोई नहीं बोला। आखिर जब वे नीचे उतरने लगे तब पायलट ने कहा – अब तुम लोग बोल सकते हो । यह बताओ, मैंने इतनी कलाबाजियां कीं । तुम्हें डर नहीं लगा । न तुम चीखे न चिल्लाए…..।

अब संता बोला – डर तो लगा था। और उस वक्त तो मेरी चीख निकल ही गई होती जब बंता नीचे गिरा, पर तुम समझते हो यार, सौ रुपए आखिर सौ रुपए होते हैं …..




कौन कितना बड़ा कंजूस है, इस बात को लेकर संता और बंता में बहस हो रही थी।

संता – मैं इतना कंजूस हूं कि अपने हनीमून के लिए मैं अकेला ही चला गया और आधे पैसे बचाए ।

बंता – अजी ये भी कोई कंजूसी हुई । मेरी सुन।  मैंने हनीमून के लिए अपनी बीबी को अपने दोस्त के साथ भेज दिया और पूरे पैसे बचाए …..




एक कंजूस आदमी जब मरने लगा तो उसने अपने तीनों बेटों को बुलाया और बोला – मैंने हमेशा लोगों को यह कहते सुना है कि मरने के बाद आदमी के साथ कुछ भी नहीं जाता। लेकिन मैं इस धारणा को गलत साबित कर दूंगा। मेरे पास कुल तीन लाख रुपये हैं। मैं तुम तीनों को एक-एक लिफाफा दूंगा जिनमें से हरेक में एक लाख रुपये होंगे। मैं चाहता हूं कि मुझे दफनाते समय तुम लोग ये रुपये मेरी कब्र में डाल दो।

जब वह आदमी मर गया तो वादे के मुताबिक तीनों बेटों ने उसकी कब्र में अपने अपने लिफाफे डाल दिए।

घर लौटते समय बड़ा बेटा गमगीन स्वर में बोला – भाई, मुझे बड़ी आत्मग्लानि हो रही है। मुझे बैंक का कर्ज लौटाना था इसलिए मैंने लिफाफे से 25 हजार निकाल लिए थे।

मंझला बेटा भी आंखों में आंसू भरकर बोला – मैंने भी नया घर खरीदा है । उसके लिए 40 हजार की जरूरत थी सो मैंने लिफाफे में केवल 60 हजार ही डाले हैं।

उन दोनों की बातें सुनकर छोटा बेटा तैश में आकर बोला – शर्म आनी चाहिए! आप लोग पिताजी की अंतिम इच्छा का भी पालन नहीं कर सके। मैंने तो एक पैसे की भी बेईमानी नहीं की। पूरे एक लाख का चेक लिफाफे में डालकर आया हूं ……………. !




डॉक्टर चिंटू (महिला रोगी के पति से)- आई एम सॉरी सर! अब सिर्फ दो दिन की मेहमान है आपकी बीवी। 

चम्पू- डॉक्टर साहब, आप ऐसा मत कहिए। आपके सॉरी कहने कोई बात ही नहीं।

...जहां पच्चीस साल निकल गए हैं, तो शेष दो दिन भी निकल ही जाएंगे। आप फिक्र मत कीजिए...। 




एक बार एक भिखारी डॉक्टर चम्पू के पास गया और बोला- साहब, मैं अपने चेहरे पर प्लास्टिक सर्जरी करवाना चाहता हूं। 

डॉक्टर चम्पू- लेकिन क्यों? तुम तो दिखने में काफी खूबसूरत हो। फिर प्लास्टिक सर्जरी करवाकर तुम अपना चेहरा बदसूरत क्यों करना चा‍हते हो...? 

भिखारी- वह इसलिए कि मेरा चेहरा देखकर कोई मुझे फूटी कौड़ी भी भीख में नहीं देता।




डॉक्टर (अपने पुराने दोस्त चम्पू से बोला)- देख यार, वो रही मेरी प्रेमिका।

चम्पू- अरे यार, फिर तुम उससे शादी क्यों नहीं कर लेते?

डॉक्टर- जरूर कर लेता...! पर क्या करू, अगर शादी की तो मेरा बड़ा नुकसान हो जाएगा। 

चम्पू- वो कैसे? 

डॉक्टर- अरे, वह करोड़पति बाप की इकलौती बेटी है। अपना इलाज सिर्फ मुझसे ही करवाती है।




प्रेमी (प्रेमिका से)- मुझे आज तक समझ में नहीं आया कि लड़कियां इतना फैशन करती क्यों हैं?

प्रेमिका ने इतराते हुए जवाब दिया- अरे बुद्धू, इतना भी नहीं जानते? 

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जाल जितना ज्यादा खूबसूरत होता है, पंछी उतने ज्यादा फंसते हैं ना।

मां (अपने पुत्र चिंटू से)- अरे... अरे... बिल्ली की पूंछ मत खींच।

चिंटू- मां, मैं कहां खींच रहा हूं, मैं तो चुपचाप पूंछ पर खड़ा हूं। खींच तो वो रही है। 




एक बुजुर्ग व्यक्ति- बेटा, कैसे हो?

बच्चा- ठीक हूं।

बुजुर्ग- पढ़ाई कैसी चल रही है? 

बच्चा- बिलकुल आपकी जिंदगी की तरह। 

बुजुर्ग- मतलब? 

बच्चा- भगवान भरोसे। 




रमन- मैं चिंटू को लेकर आजकल बहुत टेंशन में हूं।

उसकी हैंडराइटिंग इतनी खराब है‍ कि उसका लिखा ठीक से पढ़ा ही नहीं जा सकता। 

चमन- चिंटू की हैंडराइटिंग खराब है तो तुम क्यों टेंशन में हो? 

रमन- ...दरअसल परीक्षा में चिंटू ठीक मेरे आगे ही तो बैठा है!

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